धन उगाहना 15 सितंबर, 2024 – 1 अक्टूबर, 2024
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المؤسسة العربية الحديثة
د. نبيل فاروق
أسامة
الدكتور
وحيد
الأسمر
يقول
لا
عادل
هل
أنت
لويس
ماذا
توتر
هتف
عصبية
عينيه
إليه
دكتور
غمغم
هنا
الشاحب
بكل
رأسه
قال
ولكن
شعر
قوة
نحو
إنه
صرامة
لحظات
لقد
المريض
ياسمين
جسده
يحدث
يغمغم
أنا
شيء
نوال
هز
أمه
المركز
دهشة
عقله
مـن
يهتف
إذن
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إليه
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قال
ولكن
شعر
قوة
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إنه
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إليه
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قال
ولكن
شعر
قوة
نحو
إنه
صرامة
لحظات
لقد
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أنت
لويس
ماذا
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إليه
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غمغم
هنا
الشاحب
بكل
رأسه
قال
ولكن
شعر
قوة
نحو
إنه
صرامة
لحظات
لقد
المريض
ياسمين
جسده
يحدث
يغمغم
أنا
شيء
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5
كاف الكبرياء
الدار العربية للعلوم ناشرون
منال شايع
لا
أني
أنا
شيء
هل
الآن
ولا
قلبي
لماذا
إليك
معك
إلا
كيفَ
ولكني
كنتُ
لن
مني
وأنا
أستطيع
أشعر
أعرف
أعلم
أنت
الصديق
بكل
لك
بك
زلتُ
كُل
لأني
لي
يتساءل
اليوم
بي
جديد
كانَ
ولن
أتيت
أريد
أريدُ
أنتَ
أنك
ارحلْ
الحزن
الرحيل
حينَ
دونَ
كم
ماذا
مازال
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